भक्तिज्ञान और वैराग्य को करने का मार्ग है भागवत - आचार्य शिवम जी महाराज
सुजानगंज-
मानव आज भौतिक जगत के झंझटो मे इस प्रकार से उलझ कर रह गया है कि उसे इससे निजात पाने का कोई मार्ग नहीं दिखाई दे रहा है। इस भव सागर से मुक्ति प्रदान करने का एक मेव साधन है श्रीमदभागवत। उक्त उद्गार प्यारेपुर, करौरा में चल रहे श्रीमदभागवत कथा के चतुर्थ दिवस आचार्य शिवम जी महाराज ने व्यक्त किया।भागवत पुराण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भक्ति ज्ञान और वैराग्य की विस्तार से विवेचना करते हुए कहा कि इस कलिकाल मे भक्ति ज्ञान और वैराग्य को चैतन्य करने का एकमेव मार्ग है श्रीमद्भागवत पुराण है।इसके श्रवण मात्र से भक्ति ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। कथा के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने गोकर्ण की कथा पर विस्तार से प्रकाश डाला और श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर विशेष चर्चा की और प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म होते ही सभी श्रोताओं ने भगवान श्री कृष्ण के जयकारे का किया जय घोष पूरा पंडाल हुआ भक्ति मय. कथा के मुख्य यजमान देवेन्द्र कुमार सिंह पूर्व आईएएस, बीके सिंह सहित क्षेत्र के अन्य लोग उपस्थित रहे.