🚩 🚩 राम मंदिर , अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा दिन सोमवार पौष मास शुक्ल पक्ष तिथि दुवादसी संवत २०८०🚩 के शुभ अवसर पर भगवान श्री राम की असीम अनुकम्पा से प्रस्तुत है #स्वरचित_श्री_राममहिमा_चालीसा 🚩🚩
श्रीराममहिमा चालीसा
(दोहा)
अवध विराजे अवधपति,महिमा अमिट अपार।
सगुण रूप इक राम है, माया गुन गोपार।।१।।
महिमा रघुवर नाम की , सहज कही न जाए ।
जा पर किरिपा राम की,समझ वही बस पाए।।२।।
(चौपाई)
बसत अवध में फिरि रघुराई।जो सबके संताप मिटाई।१।
जे सकाम कोशलपुर आई।सुख-संपति नाना सुख पाई।२।
राम-राम सबहीं मिल गावें। नर-नारी मिल दीप जलावें।३।
धरम सनातन फिर हरसाई। भगवा अब नभ में लहराई।४।
अवधपुरी मा उत्सव भाई।महिमा मुख से बरनि न जाई।५।
संवत बीस हजार असी मा।माह पौष तिथि दुवादसी मा।६।
प्राण-प्रतिष्ठा प्रभु के होई। रामभक्त हर्षित सब कोई।७।
बड़े भाग्य शुभ अवसर आवा।आसन अवध राम बैठावा।८।
बच्चा - बच्चा राम पुकारे । गूंजे श्री रघुपति के नारे ।९।
धर्म सनातन जीता फिरि से। राम ध्वनी आई है गिरि से।१०।
राजा राम अवध हैं आए । घर-घर मंगल मोद बधाएं।११।
नभ से सुमन वृष्टि बरसावें। देव सबहि शुभ मंगल गांवे।१२।
अद्भुत अवधपुरी की रचना।मूक भए सब मुख के बचना।१३।
बसत अवध रघुवर त्रैलोकी।भए सकल नर नारि विसोकी।१४।
उत्तरदिशि बह सरयु पावनि।निर्मल धारा अतिमन भावनि।१५।
पूरब दिशि शिव लिंग अनूपा। निराकार साकार स्वरूपा।१६।
दहिने तट हनुमान विराजे। विविध ताल घंटा ध्वनि बाजे।१७।
संकट मोचन नाम बुलावे।भूत पिशाच निकट नहि आवे।१८।
कनक भवन सियराम विराजे।जिनके स्वर्णमुकूट अति साजे।।१९।
बरनउ महिमा राम रूप की।सत्य धरम करूणा स्वरूप की।२०।
कलियुग राम भजन आधारा,रामभक्ति भव पार उतारा।२१।
श्रुती पुरान वेद हैं साखी ।भक्तन की प्रभु लज्जा राखी।२२।
राम नाम इक सत्य है नामा। नाम जपत होंए पूर्णकामा ।२३।
चारिहु वेद कहें इक बाता । राम भक्ति मेंटै संतापा ।२४।
राम नाम जप शिव मन माहीं। ब्रम्हा इंद्र पार नहि पाहीं।२५।
राम नाम सुंदर शुभतायी। नाम जपत तन मन धन पायी।२६।
गणपति नाम राम का लीन्हा।तिनकों प्रथम पूज्य कर दीन्हा।२७।
प्रात काल जो राम बुलावे। ताकर दिन मंगल हुइ जावे।२८।
जाको हृदय बसउ रघुराजा।ताकर सफल होत सब काजा।२९।
प्रेमातुर सब लोग निहारें । बोले सब हैं राम हमारे ।३०।
ऐसे भगत राम अति प्यारे। सदा रहत जो राम सहारे । ३१।
नाम सप्रेम जपत जो भाई।कथा श्रवण कर जो हरसाई।।३२।
राम नाम ही है आधारा । जपहि राम उतरहि भव पारा।३३।
जाति पाति धन धरम बड़ाई। तजि सब जपै राम गुन गाई।३४।
जो चरण करि हैं सेवकाई। दुःख चिंता सब भय मिट जाई।३५।
सियाराम भए पुरबासी। बरसत निशि दिन आनंद राशी।३६।
जय-जय श्री राम गोसाईं । दीनन के प्रभु सदा सहाई। ।३७।
जो यह पाठ करै मन माहीं । निश्चय ही संकट कट जाई । ३८।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावे।मन अपने प्रभु राम बसावे।३९।
पियूष जो राम गुण गावे।अंत काल परम गति पावे।४०।।
।। दो ०।।
राम-नाम जपते रहो,पूर्ण करें सब आस।
तृषा पीयूष प्रत्यूष ,सदा राम के दास।।
✍️ रचनाकार ✍️
इंजी०पीयूष त्रिवेदी।
ग्राम व पोस्ट भोजपुर जिला रायबरेली,
उत्तर प्रदेश।
इंजीनियर - घरडा केमिकल लिमिटेड।
डायरेक्टर -एस आर कांवेंट पब्लिक स्कूल।