अब वैश्विकता आधारित सामाजिक चिंतन करना जन जन की अपरिहार्यता बन चुकी है,ऐसे समग्र विश्व की मानवता के पोषण और विकास का चिंतन करना प्रत्येक व्यक्ति का नैतिक दायित्व बन जाता है।यह नव वर्ष उसी वैश्वीकरण का एक सर्वमान्य नव बर्ष होता है।यदपि भारतीय परिप्रेक्ष्य में
कहा गया है,,,
न भारतीयो नव संवत्सरोयंज़
तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात् ।
यतो धरित्री निखिलैव माता
तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम् ।।
यद्यपि यह नव वर्ष भारतीय नव वर्ष के मानकीकरण में नही आता है, और न ही, प्रकृति सन्तुलित संस्कृतिनिष्ठ है,
तथापि सबके लिये कल्याणप्रद हो; क्योंकि सम्पूर्ण धरती सबकी माता ही है,भारत ही,इस वसुधैव कुटुम्बकमसिंद्धांत का प्रणेता,विश्व गुरु भारत के नव निर्माण के साथ सम्पूर्ण विश्व की मङ्गलकामना, के साथ,आप सभी को वर्ष 2024 की मंगलकामनायें !! यह वर्ष आपके लिये आनन्द, आरोग्य, उत्साह, समृद्धिदायक हो ,आप मानवता के सच्चे पोषक बनकर अपनी भारतीयता को उत्कर्ष प्रदान करेगें,प्रभु श्रीराम आपकी अपूर्ण मनोकामनाओं को पूर्णता प्रदान करें,
मैं भी अपूर्णताओं से भरा हूँ,अपचार करता रहा हूं,जाने अनजाने में मेरे किसी भी प्रकार के आचरण से यदि कष्ट पहुँचा हो तो मुझे छमा अवश्य करें !!
आपकी वैचारिकी एवम आपका सुकृत्य समाजोपयोगी बनकर मानवता हितकारी हो यही शुभाकांक्षा है।
आर एन त्रिपाठी प्रोफे समाज शास्त्र बी एच यू ,
सदस्य उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रयागराज