सारा राष्ट्र अखण्ड बनाया,
लौहपुरुष भारत कहलाया।
भारत को दी ऐसी शान,
मेरा भारत बना महान।।१।।
हे वल्लभ सरदार प्रणाम,
तुमसे है भारत का नाम।
चमक रहे हैं चारों धाम,
हिन्द हो गया है अभिराम।।२।।
बीत गई दुर्दिन की शाम,
राज चलाते हैं अब राम।
हर कोई है शीश झुकाता,
पहुंँच अयोध्या पावन धाम।।३।।
चहुँ दिशि है विकास की गंगा,
ना कोई भूखा, है नंगा।
प्रफुलित नदियों के सब घाट
हर भारतवासी की ठाट।।४।।
परिपथ बुद्ध-शुद्ध का बनता,
आह्लादित भारत की जनता।
विश्वगुरु भारत निर्माण,
राष्ट्रवाद प्रत्यक्ष प्रमाण।।५।।
त्यागपुरुष थे, महामना थे,
स्वाभिमान, भारत अधुना थे।
भारतवर्ष बढ़ाया मान,
मेरा भारत बना महान।।६।।
भीष्म सदृश थे, दृढ़प्रतिज्ञ वह,
भारत खातिर अजर-अमर वह।
भारत के थे आन और बान,
मेरा भारत बना महान।।७।।
अगर नहीं धृतराष्ट्र चाहते,
भारत के प्रधान वह होते।
नहीं दुर्दशा पाता प्राण,
मेरा भारत बना महान।।८।।
निष्ठा, त्याग, समर्पण साथी,
भारत के थे दक्ष सारथी।
कोटि नमन है हिंद निधान,
मेरा भारत बना महान।।९।।
पुष्कर प्रधान